Monday, December 9, 2013

अन्ना जी का यू टर्न U-Turn by ANNA JI

(An opportunist statement) 
माफ़ी चाहूँगा अन्ना जी सरीखे वयोवृद्ध गाँधीवादी व सम्माननीय व्यक्ति पर टिप्पणी करने की.… 

आत्मा पर ठेस लगी जब अन्ना जी का टी वी पर उनका श्री अरविन्द केजरीवाल की जीत के बाद के बयान सुन कर, आज उनकी जीत पर शाबाशी संतोष ख़ुशी व आशीर्वाद देना कुछ ऐसा लगा के चढ़ते सूरज को सलाम लगा, अवसर वाद लगा!
जबतक केजरीवाल की जीत से आश्वस्त नहीं थे तब तक अपना नाम का इस्तेमाल करने पर रोक, चंदा लेने में घोटाला, अनशन वाले फण्ड का गलत  इस्तेमाल व राजनीति में अन्ना जी कि छवि को कैश करना शामिल था आज जीत के बाद के तेवर पूरा यू टर्न था!
अगर आज के बयान को ठीक माने तो इसे अवसरवाद कहा जायेगा, अगर केजरीवाल जी के चरित्र से या कार्य से आप संतुष्ट थे तो, इलेक्शन से पहले आशीर्वाद दिया होता!
आपने कितनी आसानी से कह दिया के अगर केजरीवाल जी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो उनका निर्णय, हम किसी को समर्थन नहीं देंगे को जनहित निर्णय कह दिया! सरकार बनायेंगे भी नहीं और बनाने भी नहीं देंगे और दोबारा इलेक्शन होने दो ये जनहित है क्या?
जरा पूछो उन विजई विधयकों से क्या वे दोबारा इलेक्शन  में जाना चाहते हैं क्या इलेक्शन की पुनः प्रक्रिया से आश्वस्त हैं,पूछो उन कार्यकर्ता व मित्रों से क्या इलेक्शन का बोझ  इतना आसान है, अन्ना जी मात्र कह देना आसान है, जिस तन लागे वो तन जाने! एक बार anti defection law को पीछे रख कर दिलों से पूछो कोई विधायक पुनः इलेक्शन नहीं चाहता! बड़प्पन तो यह है के आप कोई देश हित में हल सुझाएँ!
सरकार ना बनने पर राष्ट्रपति शासन, क्या आप फिर से दिल्ली को back gate से कांग्रेस को नहीं सौंप रहे!   
कहीं ये कांग्रेस की ही भाषा तो नहीं,पूर्ण सदेंह है 
राष्ट्रपति शासन विकल्प नहीं जनता से छलावा है
अन्ना जी मेरी नज़र में आप संत तुल्य हैं मेरी प्रार्थना है के आप  राष्ट्र को,दिल्ली वासिओं को सच्चा मार्ग दर्शन दें, अपने कद का उपयोग करें व केजरीवाल जी को भी स्वयं की महत्वकांक्षाओं से ऊपर उठने को कहें, कल ऊंट किस करवट बैठेगा कोई नहीं जानता!
​मेरा मानना है के 70 सीटों पर 70 मैनिफेस्टो और उनके वायदे जो 30 दिन से 6 महीनों में पूरे होने हैं,Local issuesजिसकी जनता को आस है राष्ट्रपति शासन में नहीं हो सकते​!
दूसरा, क्षेत्रिये मुद्दे राष्ट्रीय मुद्दों के समक्ष बौने पड़ सकते हैं, आरएसएस जैसी देश भक़्त संस्थाएं, व उनके कार्यकर्ता राष्ट्र के चुनाव में मोदी जी का ही साथ देंगे!
निसंदेह आज एक सकारात्मक व दूरगामी सोच कि आवश्यकता है!

                                                                          

-आदर्श   

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