Friday, July 1, 2016

आर्थराइटिस arthritis का उपचार by Rajiv Dixit

आर्थराइटिस का उपचार : राजीव दीक्षित Rajiv Dixit

"घुटने कभी भी मत बदलिए"

इस अग्रेजी पद्धति के उपचार से प्रधानमन्त्री वाजपेयी जी की क्या हालत हुई है आपके सामने है चलते थे आज चल भी नहीं सकते

१. दोनों तरह के आर्थराइटिस (Osteoarthritis और Rheumatoid arthritis) मे आप एक दावा का प्रयोग करे जिसका नाम है चूना, वही चूना जो आप पान मे खाते हो। गेहूं के दाने के बराबर चूना रोज सुबह खाली पेट एक कप दही मे मिलाके खाना चाहिए, नही तो दाल मे मिलाके, नही तो पानी मे मिलाके पीना लगातार तीन महीने तक, तो आर्थराइटिस ठीक हो जाती है। ध्यान रहे पानी पीने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा। अगर आपके हाथ या पैर के हड्डी मे खट खट आवाज आती हो तो वो भी चूने से ठीक हो जायेगा।

२. दोनों तरह के आर्थराइटिस के लिए और एक अच्छी दवा है मेथी का दाना, एक छोटा चम्मच मेथी का दाना एक कांच के गिलास मे गरम पानी लेके उसमे डालना, फिर उसको रात भर भिगोके रखना, सबेरे उठके पानी सिप सिप करके पीना और मेथी का दाना चबाके खाना, 3महीने तक लेने से आर्थराइटिस ठीक हो जाती है। ध्यान रहे पानी पीने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा।

३. ऐसे आर्थराइटिस के मरीज जो पूरी तरह बिस्तर पकड़ चुके है, 40 साल से तकलीफ है या 30साल से तकलीफ है, कोई कहेगा 20साल से तकलीफ है, और ऐसी हालत हो सकती है के वे दो कदम भी न चल सके, हाथ भी नही हिला सकते है, लेटे रहते है बेड पे, करवट भी नही बदल सकते ऐसी अवस्था हो गयी है .... ऐसे रोगियों के लिए एक बहुत अच्छी औषधि है जो इसीके लिए काम आती है। एक पेड़ होता है उसे हिंदी में हरसिंगार कहते है, संस्कृत में पारिजात कहते है, बंगला में शिउली कहते है , उस पेड़ पर छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और फूल की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे खुशबू बहुत आती है, रात को फूल खिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते है। इस पेड़ के छह सात पत्ते तोड़ के पत्थर में पीस के चटनी बनाइये और एक ग्लास पानी में इतना गरम करो के पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके रोज सुबह खाली पेट पिलाना है जिसको भी बीस तीस चालीस साल पुराना आर्थराइटिस हो या जोड़ो का दर्द हो। यह उन सबके लिए अमृत की तरह काम करेगा इसको 3 महीने लगातार देना है अगर पूरी तरह ठीक नही हुआ तो फिर 10-15 दिन का गैप देके फिर से 3महीने देना है। अधिकतम केस मे ज्यादा से ज्यादा एक से डेढ़ महीने मे रोगी ठीक हो जाते है, इसको हर रोज नया बनाके पीना है, ये औषधि exclusive है और बहुत strong औषधि है इसलिए अकेली ही देना चाहिये, इसके साथ कोई भी दूसरी दावा न दे नही तो तकलीफ होगी। ध्यान रहे पानी पीने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा।

घुटने कभी भी मत बदलिए :
राजीव दीक्षित Rajiv Dixit

RA Factor जिनका प्रोब्लेमाटिक है और डॉक्टर कहता है के इसके ठीक होने का कोई चांस नही है, कई बार कार्टिलेज पूरी तरह से ख़तम हो जाती है और डॉक्टर कहते है के अब कोई चांस नही है Knee Joints आपको replace करने ही पड़ेंगे, Hip joints आपको replace करने ही पड़ेंगे, तो जिनके घुटने निकाल के नया लगाने की नौबत आ गयी हो, Hip joints निकालके नया लगाना पड़ रहा हो उन सबके लिए यह औषधि है जिसका नाम है हरसिंगार का काड़ा।

राजीव भाई का कहना है के आप कभी भी Knee Joints को और Hip joints को replace मत कराइए, चाहे कितना भी अच्छा डॉक्टर आये और कितना भी बड़ा गारंटी दे पर कभी भी मत करिये। भगवान की जो बनाई हुई है आपको कोई भी दोबारा बनाके नही दे सकता, आपके पास जो है उसिको repair करके काम चलाइए। हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री अटलजी ने यह प्रयास किया था, Knee Joints का replace हुआ अमेरिका के एक बहुत बड़े डॉक्टर ने किया पर आज उनकी तकलीफ पहले से जादा है पहले तो थोडा बहुत चल लेते थे अब चलना बिलकुल बंद हो गया है कुर्सी पे ले जाना पड़ता है, आप सोचिये जब प्रधानमंत्री के साथ यह हो सकता है आप तो आम आदमी है।

अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें : http://www.youtube.com/watch?v=B0RX7alIatw

बुखार का दर्द का उपचार :

डेंगू जैसे बुखार मे शरीर मे बहुत दर्द होता है .. बुखार चला जाता है पर कई बार दर्द नही जाता | ऐसे केसेस मे आप हरसिंगार की पत्ते की काड़ा इस्तेमाल करे, 10-15 दिन मे ठीक हो जायेगा |

वन्देमातरम्

Wednesday, May 11, 2016

Kumbh Mela

Kumbh Mela is held at each of the four places namely Haridwar, Allahabad (Prayag), Nasik and Ujjain once in every 12 years. It is known to be a time when spiritual energy travels all around the place during this holy event. It’s a social harmony where you get to see many saints and sadhakas gathering at one place. This event even gives you the chance of seeking the blessings of these pious saints.
The position of the Sun, Moon and Jupiter in different zodiac signs determines the location of the Kumbh in each of these places.
*Kumbh in Haridwar* : When the Sun is in the zodiac sign Aries and Jupiter is in Aquarius it is held in Haridwar.
*Kumbh in Prayag* :  When the Sun is in Capricorn and Jupiter is in Taurus, it is held in Allahabad (Prayag).
*Kumbh in Nasik* : When Jupiter enters the zodiac sign Leo it is held in Nasik. It is also held in Nasik, when Jupiter, Sun and Moon enter the zodiac sign Cancer on Amavasya.
*Kumbh in Ujjain* : Ujjain, one of the most sacred places in India, is located on the banks of the sacred river Kshipra in the western region of Madhya Pradesh. Kumbh in Ujjain is held when a rare configuration of planets takes place which happens once in 12 years. When the Sun is in the zodiac sign Aries and Jupiter in the zodiac Leo, it is held in Ujjain. Considering its relevance to the zodiac ‘Leo’ meaning ‘Simha’ in Sanskrit, the Kumbh is also referred to as ‘Simhasth Kumbh’.
It is the great bathing festival which sees lakhs of devotees coming together from across the world to celebrate this month long congregation. The ceremonial bathing takes place in the holy River Kshipra on the full moon day of Chaitra month and continues in different intervals during the entire month of Vaishakh, culminating on the tenth full moon day.
_According to myth, holy dip in Kshipra river is very important during this festival_

माधवे धवले पक्षे सिंह जीवत्वेजे खौ।
तुलाराशि निशनाथे स्वातिभे पूर्णिमा तिथौ।
व्यतिपाते तु सम्प्राप्ते चन्द्रवासर -संचुते।
कुशस्थली -महाक्षेत्रे स्नाने मोक्षमवाच्युयात्।
Kumbh Mela is a mass Hindu pilgrimage of faith in which Hindus gather to bathe in a sacred river. Traditionally, four fairs are widely recognized as the Kumbh Melas:
the Haridwar Kumbh Mela,
the Allahabad Kumbh Mela,
the Nashik-Trimbakeshwar Simhastha and
the Ujjain Simhastha, although priests at other places have also claimed their local fairs to be Kumbh Melas. These four fairs are held periodically at one of the following places by rotation: Haridwar, Allahabad (Prayaga), Nashik district (Nashik and Trimbak) and Ujjain. The main festival site is located on the banks of a river: the Ganges (Ganga) at Haridwar; the confluence (Sangam) of the Ganges and the Yamuna and the now extinct (disappeared/ dried/ lost in time) Sarasvati at Allahabad; the Godavari at Nashik; and the Shipra at Ujjain. Bathing in these rivers is thought to cleanse a person of all sins.

At any given place, the Kumbh Mela is held once in 12 years. There is a difference of around 3 years between the Kumbh Melas at Haridwar and Nashik; the fairs at Nashik and Ujjain are celebrated in the same year or one year apart. The exact date is determined according to a combination of zodiac positions of the Jupiter, the Sun and the Moon. At Nashik and Ujjain, the Mela may be held while a planet is in Leo (Simha in Hindu astrology); in this case, it is also known as Simhastha. At Haridwar and Allahabad, an Ardha ("Half") Kumbh Mela is held every sixth year; a Maha ("Great") Kumbh Mela occurs after 144 years.